जानिए वट सावित्री पूर्णिमा की कथा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हर माह की पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है लेकिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वट सावित्री पूर्णिमा भी कहा हैं। इस दिन विवाहित महिलायें अपने परिवार की सुख समृद्धि और अपने पति की दीर्घ आयु के लिए वट सावित्री व्रत भी रखती है। कहीं कहीं ये व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखने की परंपरा हैं।
वट सावित्री पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2020:-
दिनांक – शुक्रवार , 5 जून 2020
प्रारम्भ समय :- 5 जून 2020 को 3:17 a.m.
समाप्ति समय :- 6 जून 2020 को 12:41 a.m.
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व्रत और पूजा विधि:-
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन पीला वस्त्र धारण करना अति शुभ माना जाता है। इसके बाद रेत से भरी एक बांस की टोकरी लें और उसमें ब्रहमदेव की मूर्ति के साथ सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियाँ स्थापित करे। दोनों टोकरियों को वट के वृक्ष के नीचे रखे और ब्रहमदेव और सावित्री की मूर्तियों की पूजा करें। इसके बाद वट वृक्ष को जल अर्पित कर सात बार उसकी परिक्रमा करते हुए वट वृक्ष के तने को सूत से लपेटा जाता है। इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा पंडित जी से सुनें तथा उन्हें यथासंभव दक्षिणा दें।

वट सावित्री कथा:-
कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है की एक निःसंतान शाही दंपति अश्वपति और मालवी ने देवी सावित्रा की पूजा कर उनका आशीर्वाद मांगा। उन्हें एक बेटी मिली और उनका नाम सावित्री रखा गया।
विवाह योग्य होने पर सावित्री ने सत्यवान को विवाह के लिए चुना। ऋषि नारद यह सूचित करते हैं कि उन्होंने सबसे अच्छा आदमी चुना है लेकिन वह उनके लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि वह अल्पकालिक हैं। सत्यवान के छोटे जीवन-काल के बारे में जानने के बाद भी, सावित्री उससे शादी करने का फैसला करती है।
विवाह के कुछ समय पश्चात एक दिन जंगल में लकड़ी काटते समय उसके सिर में भयानक पीड़ा होने लगी।सावित्री को समझ में आ गया कि अब उसके पति के पासवक्त नहीं बचा है तो उसने अपनी गोद में पति का सिर रखकर लिटा लिया। लेकिन फिर सावित्री की पति भक्ति देखकर यमराज ने सावित्री से अपने पति के प्राण को छोड़ कर कोई भी एक वर मांगने को कहा। तब सावित्री ने वर मांगा की मैं सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनना चाहती हूं। और इस प्रकार सावित्री यमराज सेभी अपने पति के प्राण वापस ले आयी।
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